तवारीख़ में दफ़्न है अब वो शम्शीर, वो लहू, वो सुल्ताना रजिया,
खोले बैठे हैं बोतल हुम कबसे कि जाने कब आयेगी नमकीन भजिया !!
Sunday 30 September 2007
दर्द
गेंदा, गुलाब, जूही, चंपा-चमेली और केवड़ा
गेंदा, गुलाब, जूही, चंपा-चमेली और केवड़ा
ग़ौर कीजियेगा....
गेंदा, गुलाब, जूही, चंपा-चमेली और केवड़ा
लवली-लवली से दो पेग लगाओ तो भी दुनिया बोले बेवड़ा !!
गेंदा, गुलाब, जूही, चंपा-चमेली और केवड़ा
ग़ौर कीजियेगा....
गेंदा, गुलाब, जूही, चंपा-चमेली और केवड़ा
लवली-लवली से दो पेग लगाओ तो भी दुनिया बोले बेवड़ा !!
नासा की तस्वीरों को भी तुमने नासा
"नासा ने आकाश से खींची थी तस्वीर ,
मानव निर्मित है नहीं, शंका रखी अधीर।
शंका रखी अधीर, ईश ने इसे बनाया,
टापू-टापू जुड़े, राम का सेतु कहाया।
चक्र सुदर्शन घूमा, बोला कथन भला-सा,
नासा की तस्वीरों को भी तुमने नासा।"
-अशोक चक्रधर
तहलकाडाट काम से.
Saturday 29 September 2007
शिकवा
न तो झूटा ना सच्चा, न ही बुरा या अच्छा
क्यूं मुद्दत से भेजा नहीं तुमने कोई SMS का बच्चा.
(only true diljale will understand)
क्यूं मुद्दत से भेजा नहीं तुमने कोई SMS का बच्चा.
(only true diljale will understand)
आंखों में नहीं चैन, न दिल में करार
Friday 28 September 2007
मासूम मोहब्बत
उस बेवफ़ा का यारो अंदाज़ है ऐसा जानलेवा
उस बेवफ़ा का यारो अंदाज़ है ऐसा जानलेवा
के अंगूर कहूं मैं उसको
या के विलायती मेवा!!
उस बेवफ़ा का यारो अंदाज़ है ऐसा जानलेवा
के अंगूर कहूं मैं उसको
या के विलायती मेवा!!
देखा जो ब्लॉग आपका
देखा जो ब्लॉग आपका जी बहल गया
देखा जो ब्लॉग आपका जी बहल गया
चलो ये भी अच्छा हुआ...चलो ये भी अच्छा हुआ...
कि तुमने बेच खाई है हया!!
देखा जो ब्लॉग आपका जी बहल गया
चलो ये भी अच्छा हुआ...चलो ये भी अच्छा हुआ...
कि तुमने बेच खाई है हया!!
Thursday 27 September 2007
क्यों श्रीमान! कैसा है अनुमान ?
खु़दा करे तेरा मोबाइल खो जाय !!
दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए !
इस वक्त आप सिर्फ़ मेरा पान लीजिये !!
देवदास
आज सिर्फ़ दीदार !
कल प्यार !!
परसों इकरार !
और फिर इंतज़ार !!
फिर तकरार !
फिर दरार !!
सारी
मेहनत बेकार !!
और आख़िर में !
एक और देवदास गया बियर बार !!
मोबाइल फोन
खुदा करे तेरा मोबाइल खो जाए !
मुझे मिले और मेरा हो जाय !!
करूं एस एम एस लड़कियों को
और तेरा नाम आए !
मार तुझे पड़े
और कलेजा मेरा
ठंडा हो जाय !!!!
Wednesday 26 September 2007
आप सबों को आदाब अर्ज़ है!
Tuesday 25 September 2007
Monday 24 September 2007
कुत्तों के यार हो गये !!
Sunday 23 September 2007
अंगड़ाई वो लेती है, दम मेरा निकल जाता है!
Saturday 22 September 2007
वो मार खाता है अपनी वाइफ़ से
Friday 21 September 2007
वो देखो शेर मारा !!!
Thursday 20 September 2007
तेरे दर पे सनम
वाह! वाह!!
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
.........
घंटी बजायेंगे और भाग जायेंगे.
(यह शेर कहीं पड़ा मिला चूहे की तरह)
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
.........
घंटी बजायेंगे और भाग जायेंगे.
(यह शेर कहीं पड़ा मिला चूहे की तरह)
नज़र झुकाते नज़र से देखा !!
हमने भी प्यार किया था !!
हमने भी प्यार किया था, ज़िन्दगी में बड़े जोश के साथ !
हमने भी प्यार किया था ज़िन्दगी में बड़े शोर के साथ !!
अब हम प्यार करेंगे बड़ी सोच के साथ !
क्योंकि उसे कल शाम को देखा किसी और के साथ!!
हमने भी प्यार किया था ज़िन्दगी में बड़े शोर के साथ !!
अब हम प्यार करेंगे बड़ी सोच के साथ !
क्योंकि उसे कल शाम को देखा किसी और के साथ!!
दे ताली !!
Wednesday 19 September 2007
बार टाइम पोएट्री
सूरज ये ढल रहा है,
दिन का लम्हा आख़िरी जैसे पिघल रहा है,
मेरा ये दारू पीना क्यों तुमको खल रहा है??
दिन का लम्हा आख़िरी जैसे पिघल रहा है,
मेरा ये दारू पीना क्यों तुमको खल रहा है??
हाथ में बियर
अर्ज़ है---
जाने कहां सितारों में छिप गय वो शायर-ए-आज़म विलियम शेक्स-पियर
सरे-शाम अक्सर सोचा किये हम ले के हाथ में बियर !!
(composed after watching an Asmita group's presentation of Shakespeare)
जाने कहां सितारों में छिप गय वो शायर-ए-आज़म विलियम शेक्स-पियर
सरे-शाम अक्सर सोचा किये हम ले के हाथ में बियर !!
(composed after watching an Asmita group's presentation of Shakespeare)
अर्ज़ किया है ज़रा गौर फ़र्माइयेगा
आंखों में तैराकी
दिल करता है तेरी झील-सी आंखों में डूब जाऊं
दिल करता है तेरी झील-सी आंखों में डूब जाऊं
दिल करता है तेरी झील-सी आंखों में डूब जाऊं
[छपाक]
[छपाक]
[छपाक]
दिल करता है तेरी झील-सी आंखों में डूब जाऊं
दिल करता है तेरी झील-सी आंखों में डूब जाऊं
[छपाक]
[छपाक]
[छपाक]
Tuesday 18 September 2007
कुत्ता नहीं हूँ
सेंट-परसेंट
अनामदास की सस्ती पाती
अनामदास सस्ते शेरों को पढ़कर थोड़े प्रेरित हुए और उन्होंने विमलभाई के नाम ख़त लिखते हुए कुछ शेर भेजे हैं. अनामदासजी की मेल को स्वतंत्र पोस्ट के रूप में प्रकाशित कर रहा हूं ताकि बात सस्ते संदर्भ में ही रहे.
इरफ़ान
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विमल भाई
बड़ी मेहनत से आपके लिए ये अनमोल मोती जुटाए हैं, ज्यादातर दिल्ली की ब्लूलाइन बसों से साभार हैं, कुछ का स्रोत याद नहीं. हाँ, रंगीन स्टिकरों पर बड़े प्यार से सजाकर लिखे जाते हैं.
बड़ी मेहनत से आपके लिए ये अनमोल मोती जुटाए हैं, ज्यादातर दिल्ली की ब्लूलाइन बसों से साभार हैं, कुछ का स्रोत याद नहीं. हाँ, रंगीन स्टिकरों पर बड़े प्यार से सजाकर लिखे जाते हैं.
मालिक मेहरबान है, मगर चमचों से परेशान है...टाइप ही नहीं, इश्क़, बेवफ़ाई वग़ैरह पर जो शेर होते हैं, उनका उद्देश्य यही होता है कि सबको समझ में आ जाए, कोई बात बाक़ी न रह जाए.
अच्छा सिला दिया तो मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का इसीलिए तो बस ड्राइवरों के बीच इतना लोकप्रिय हुआ था.
लिखता हूँ ख़त ख़ून से स्याही न समझना
जानेमन हवालदार हूँ सिपाही न समझना
वक़्त बुरा है शायद ये भी टल जाएगा
तुम साथ दो वर्ना दम निकल जाएगा
आजकल तेरी चिट्ठी नहीं आती क्या हो गया
डाकिया मर गया कि डाकखाना बंद हो गया
निकले थे घर से सजके तेरे दीदार को
गेट बंद है तेरा तकते हैं दीवार को
हो गई बस्ती पूरी की पूरी ख़ाली
अकेले कैसे गाए कोई कव्वाली
न तुम बेवफ़ा थे न हम बेवफ़ा थे
क़िस्मत के सितारे दोनों से ख़फ़ा थे
उसने कभी देखा था मुझे बड़े प्यार से
मैंने देखा उसे गले मिलते मेरे यार से
साभारः दिल्ली के बस ड्राइवर और कंडक्टर
लिखता हूँ ख़त ख़ून से स्याही न समझना
जानेमन हवालदार हूँ सिपाही न समझना
वक़्त बुरा है शायद ये भी टल जाएगा
तुम साथ दो वर्ना दम निकल जाएगा
आजकल तेरी चिट्ठी नहीं आती क्या हो गया
डाकिया मर गया कि डाकखाना बंद हो गया
निकले थे घर से सजके तेरे दीदार को
गेट बंद है तेरा तकते हैं दीवार को
हो गई बस्ती पूरी की पूरी ख़ाली
अकेले कैसे गाए कोई कव्वाली
न तुम बेवफ़ा थे न हम बेवफ़ा थे
क़िस्मत के सितारे दोनों से ख़फ़ा थे
उसने कभी देखा था मुझे बड़े प्यार से
मैंने देखा उसे गले मिलते मेरे यार से
साभारः दिल्ली के बस ड्राइवर और कंडक्टर
अनामदास द्वारा प्रेषित
सितारों ने साथ छोड़ दिया ! !
Friday 14 September 2007
"एक तेरे आने से पहले, एक तेरे जाने के बाद"
Thursday 13 September 2007
अर्ज़ किया है
इख़्तेयार-ए-तबस्सुम की लौ को तरन्नुम में नुमाइश से आगाह देना,
इख़्तेयार-ए-तबस्सुम की लौ को तरन्नुम में नुमाइश से आगाह देना,
इख़्तेयार-ए-तबस्सुम की लौ को तरन्नुम में नुमाइश से आगाह देना,
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और जब इसका मतलब पता चले तो आप हमको भी बता देना.
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नीचे जो शेर यूनुस भाई ने भेजा है, उसे सुनने दर असल ये चले आते हैं, बल्कि ले आये जाते हैं.
इख़्तेयार-ए-तबस्सुम की लौ को तरन्नुम में नुमाइश से आगाह देना,
इख़्तेयार-ए-तबस्सुम की लौ को तरन्नुम में नुमाइश से आगाह देना,
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और जब इसका मतलब पता चले तो आप हमको भी बता देना.
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नीचे जो शेर यूनुस भाई ने भेजा है, उसे सुनने दर असल ये चले आते हैं, बल्कि ले आये जाते हैं.
हिमाकत,सदावत,अदावत,हरारत
वाह क्या संतरा था !!
Wednesday 12 September 2007
न मंदिर न भगवान
शाहजहाँ ने ताजमहल की हर दीवार को देखा !!!!
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