जनाब फ़रहत शहज़ाद साहब से माफ़ी की गुज़ारिश के साथ-
उल्टा सीधा मत सोचा कर,
पिट जावेगा मत सोचा कर,
'भ' से भूत भी हो सकता है,
इत्ता गंदा मत सोचा कर,
दिन में बीसों बार फ़टी है,
इसका फ़टना मत सोचा कर,
शाम ढले घर भी जाना है,
अद्धा पव्वा मत सोचा कर,
लड़की को तू छेड़ के प्यारे,
चप्पल जूता मत सोचा कर,
शे'र कहा है दाद तो दीजे,
महँगा सस्ता मत सोचा कर..