गोरे मुअशियात* में आगे निकल गये,
हम भी कागज़ात में आगे निकल गये,
दूल्हा बना गई हमें शादी रक़ीब की,
हम इस क़दर बारात में आगे निकल गये,
है बम के साथ साथ मुहब्बत भी एटमी,
हम दिल के तज़ुर्बात में आगे निकल गये,
नाके में कुछ अटक से गये हैं गरीब लोग,
डाकू तो वारदात में आगे निकल गये....
मुअशियात*= Economics