इष्ट देव सांकृत्यायन
खाट पड़ी है बिस्तर गोल
बोल जमूरा जय जय बोल
आते ही नज़दीक चुनाव
शुरू हो गए बचन बोल
सबका दुख वे समझ रहे
हैं
जिनके बदल गए हैं
रोल.
खिसक गई ज़मीन तो काहें
खिसक गई ज़मीन तो काहें
घिस रहे हैं झुट्ठै
सोल.
कसरत कोई कितनी कर
ले
मन है सबका डावाँडोल
अपने चरित्र का कोई न ठेका
अपने चरित्र का कोई न ठेका
खोल रहे सब सबकी पोल
चाहे जिसकी देखो
पंजी
सबमें हुई है
झोलमपोल
भाँग कुएँ में कौन मिलाए
बरस रहा है गगन से
घोल
अपने ढंग से बजा रहे
हैं
सभी एक दूसरे का ढोल
किसी के सिर पर ताज
बिठा दे
जनता कितनी है बकलोल
No comments:
Post a Comment