जो ताकतवर हो उसे महान कहना ही पड़ता है,
कमज़ोर दोस्तों को पहलवान कहना ही पड़ता है,
जो रिश्तेदार अपने घर जाने का नाम ना लें,
मज़बूरी में उन्हें मेहमान कहना ही पड़ता है,
घर वाली को खुश रखने की खातिर अक्सर,
उसे "तू है मेरी जान" कहना ही पड़ता है,
जिसने ज़िंदगी भर हसीनों के सैंडल सहे हों,
ऐसे आशिक़ को पार्टी की शान कहना ही पड़ता है..
Wednesday, 4 February 2009
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2 comments:
बड़े सस्ते मगर ताक़तवर अशआर हैं
चाँद, बादल और शाम
kya baat bahut khub bahut khub
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