Wednesday 12 September 2007

न मंदिर न भगवान


ना मंदिर, ना भगवान !
ना पूजा ना स्नान !!
दिन होते ही !
हमारा पहला काम !!
इक प्यारा सा एस एम एस !
अपने दोस्त के नाम !!

2 comments:

Anonymous said...

मां कसम मैने भी सोचा था
कि एक ताजमहल
अपनी महबूबा के नाम बनवाएंगे,
अच्छा हुआ मह्बूबा ने भी धोखा दिया
और साथ- साथ लोन
ही पास नही हुआ

उन्मुक्त said...

अरे बाबा रे बाबा। आज पहली बार आपके चिट्ठे पर आया। इस चिट्ठी के चित्र और चिट्ठे पर नर कंकाल के सिर को देख कर डर ही लग गया :-)
बढ़िया शेर हैं चालू रहिये।