Friday 14 September 2007

"एक तेरे आने से पहले, एक तेरे जाने के बाद"


और भी बहुत सी चीज़, लुट चुकी है दिल के साथ
ये बताया दोस्त ने, इश्क फ़रमाने के बाद,
इसीलिये कमरे की एक एक चीज़ "चेक" करता हूं मैं
"एक तेरे आने से पहले, एक तेरे जाने के बाद"

1 comment:

मैथिली गुप्त said...

फिर भी कम्बख्त कुछ न कुछ कम ही हो जातीं हैं!