"नासा ने आकाश से खींची थी तस्वीर ,
मानव निर्मित है नहीं, शंका रखी अधीर।
शंका रखी अधीर, ईश ने इसे बनाया,
टापू-टापू जुड़े, राम का सेतु कहाया।
चक्र सुदर्शन घूमा, बोला कथन भला-सा,
नासा की तस्वीरों को भी तुमने नासा।"
-अशोक चक्रधर
तहलकाडाट काम से.
महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
2 comments:
वाह रेयाज़ साहब,
बहुत बेहतरीन कुण्ड़ली ले आये आप अशोक चक्रधर जी की. आभार प्रस्तुत करने का.
चुन करके कुछ लाये हैं, कितना सुंदर आज
नासा की इस बात पर, क्या कहते हैं रेयाज़.
क्या कहते हैं रेयाज़, यह उनका शेर नहीं है
अल्लाह के घर देर तो है,मगर अंधेर नहीं है
न बतलाते तब भी, हम तो जान ही जाते
अशोक जी के ब्लॉग पे, जब भी सैर लगाते.
--रेयाज़ भाई, बस मजाक कर रहा हूँ. अन्यथा न लें. :)
यह तो उन लोगों के लिये है जो नहीं बताते कि किसका है, आपने तो बता दिया है. :)
हा हा हा
वाह समीर भाई. खूब.
Post a Comment