वाह! वाह!!
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
तेरे दर पे सनम, बार बार आयेंगे
.........
घंटी बजायेंगे और भाग जायेंगे.
(यह शेर कहीं पड़ा मिला चूहे की तरह)
Thursday, 20 September 2007
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महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
2 comments:
अच्छा तो आप हैं ।
हम कित्ते दिनों से ढूंढ रहे थे उसे
जो हमारे दर पे घंटी बजाके भाग जाता है ।
अब आईये बताते हैं ।
अब तो बजाना बन्द कीजिये. हम आ गये है भाई..चलिये आप भी आ गये.. बड़ा मज़ा आयेगा,
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