कुछ तो जीते हैं जन्नत की तमन्ना लेकर !
कुछ तमन्ना-ए-ज़िन्दगी सिखा देती है !!
हम किस तमन्ना के सहारे जीयें !
ये ज़िन्दगी हर तमन्ना टुकरा देती है !!
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आपकी याद में मुरझाए फूल पर बहार वही है !
आप दूर रहते हों मगर मेरा प्यार वही है !!
जानते हैं मिल नहीं पा रहे हैं आपसे !
मगर इन आँखों में इंतिज़ार वही है !!
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मेरे ख्वाबों में आना आपका कुसूर था !
आपसे दिल लगाना हमारा कुसूर था !!
आप आए थे ज़िन्दगी में पल दो पल के लिये !
आपकों ज़िन्दगी समझ लेना हमारा कुसूर था !!
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दिन बीत जाते हैं सुहानी यादें बनकर !
बातें रह जाती हैं कहानी बनकर !!
पर प्यार तो हमेशा दिल के करीब रहेगा !
कभी मुस्कान तो कभी आँसू बनकर !!
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Sunday, 6 September 2009
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5 comments:
वाह बहुत बढ़िया
शेर और बिल्लियों की शास्त्रीय समझ नहीं है फिर भी आखिरी शेर में अगर रदीफ़, काफ़िया या फिर किसी बहर का चक्कर ना हों तो इसे "आँख का पानी" कर दिया जाये तो ये मेरे क़स्बे के झामन सिन्धी के उस ठेले को सच्ची श्रृद्धांजलि होगी जिसने उम्र भर सब्जी बांटने के अतिरिक्त हर तीन महीने बाद ग्राहकों को ऐसे ही मरहम भरे शेर भी बांटे हैं जो ठेले के चारों ओर टायरों की ताडियों के अलावा हर जगह लिखे हुआ करते थे और इस कमज़र्फ़ दुनिया और बरबाद मुहब्बत की तस्वीर खींचते थे.
ee tou saaheb mahangaa hai !!
Saste naheen, laajwaab.
Think Scientific Act Scientific
Saste naheen, laajwaab.
Think Scientific Act Scientific
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