Tuesday, 27 December 2011

पॉपुलर मेरठी का क़लाम

अजब नहीं है जो तुक्का भी तीर हो जाए
फटे जो दूध तो फिर वो पनीर हो जाए
मवालियों को न देखा करो हिकारत से
न जाने कौन सा गुंडा वजीर हो जाए

Tuesday, 17 May 2011

मैं शिकार हूँ किसी और का...

मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है,
मुझे जिसने बकरी बना दिया वो भेड़िया कोइ और है ।

कई सर्दियॉ भी ग़ुज़र गईं मैं उसके काम न आ सका,
मैं लिहाफ़ हूँ किसी और का मुझे ओढ़ता कोई और है ।

मुझे चक्करों में फँसा दिया मुझे इश्क ने तो रुला दिया,
मैं माँग हुँ किसी और का मुझे मांगता कोइ और है ।

मेरे रोब में तो वो आ गया मेरे सामने तो वो झुक गया,
मुझे पिट के ये ख़बर हुई मुझे पीटता कोइ और है ।

जो गरजते हैं वो बरसते हों कभी हम ने ऐसा सुना नहीं,
यहाँ भोंकता कोइ और है और काटता कोइ और है ।

अज़ब आदमी है ये “राज” भी उसे बेक़सूर ही जानिए,
ये डाकिया है जनाबे मन, इसे भेजता कोइ और है...

तुझे देखने को..

तुझे देखने को ये दिल बेताब है,
पर खिड़की पे खड़ा तेरा बाप है।

कभी इत्तेफ़ाक़ से जो नज़र मिल भी जाए,
तो समझो सारा दिन खराब है।

कभी उसकी बहनें कबाब में हड्डी थीं,
मगर अब हड्डी में फँसा कबाब है।

मुझे डरा धमका के सीधा कर लेंगे,
तेरे भाइयों को आया ये ख्वाब है।

लाओ मेरे छुट्टे पैसे वापस कर दो,
अभी चुकाना तुम्हें बहुत हिसाब है।

दिलबर क्या यही हैं तेरे प्यार की सौगातें?
बिखरे बाल, घिसे जूते, फटी जुर्राब है।

घर वाले गर पूछें कहाँ जा रही हो?
कहना सहेली की तबीयत खराब है।

आइ हो , दो चार घड़ियाँ बैठो तो सही,
रिक्शे का ड्राइवर कौन सा नवाब है।

तुम खुद को समझते क्या हो?
याद उसका, यही मेरा जवाब है॥

Monday, 25 April 2011

I can't find my blog on the Web, where is it?

I can't find my blog on the Web, where is it?

Saturday, 26 February 2011

अंधेरे ने कभी रोशनी नहीं देखी

अंधेरे ने कभी रोशनी नहीं देखी

ज़िन्दगी ने कभी मौत नहीं देखी

 वो कहते है मिट जाती है दूरियों से दोस्ती,

शायद उन्होंने हमारी दोस्ती नहीं देखी

इस शेर को सस्ता नहीं कहते .....तो कहते क्या हैं ?

दोस्तों की महफ़िल सजे ज़माना हो गया ।


लगता है खुल के जीये ज़माना हो गया ॥


काश कहीं मिल जाय वो काफ़िला दोस्तों का ।


अपनों से बिछड़े अब ज़माना हो गया ॥