Saturday, 26 February 2011

अंधेरे ने कभी रोशनी नहीं देखी

अंधेरे ने कभी रोशनी नहीं देखी

ज़िन्दगी ने कभी मौत नहीं देखी

 वो कहते है मिट जाती है दूरियों से दोस्ती,

शायद उन्होंने हमारी दोस्ती नहीं देखी

इस शेर को सस्ता नहीं कहते .....तो कहते क्या हैं ?

दोस्तों की महफ़िल सजे ज़माना हो गया ।


लगता है खुल के जीये ज़माना हो गया ॥


काश कहीं मिल जाय वो काफ़िला दोस्तों का ।


अपनों से बिछड़े अब ज़माना हो गया ॥