मुशायरे में एक शायर ने अपना क़लाम सुनाते हुए पढा-
"ये दिल है, ये जिगर है, ये कलेजा"
गौर फ़रमाएं-
"ये दिल है, ये जिगर है, ये कलेजा",
"ये दिल है, ये जिगर है, ये कलेजा",
लोगों में से किसी ने आवाज़ उठाई-
"खस्सी लाया है सौगात क्य-क्या"
महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
3 comments:
वाह-वाह
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चाँद, बादल और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/
ha ha ha bahot khub.....
बहुत अच्छे
!
आनन्द आया.
द्विजेन्द्र द्विज
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