Sunday 11 January 2009

बकबक

बहुत दिन से सुन रहां हूं सस्ते शेर,
आपकी बकबक, इनकी बकबक ,उनकी बकबक।
बर्दाश्त की हो गई है हद,खामोश हो जा ,या
और बक ,खूब बक , मेरी बला से करेजा बकबक।

2 comments:

Himanshu Pandey said...

यह हरकारे की आवाज में शेर कह गये.
अच्छा लगा.

Vineeta Yashsavi said...

और बक ,खूब बक , मेरी बला से करेजा बकबक।

bahut achha.