Saturday, 28 August 2010

दोस्ती...

वादा तो नहीं करते दोस्ती निभाएंगे,
कोशिश यही रहेगी आपको नहीं सतायेंगे,
ज़रूरत पड़े तो दिल से पुकारना हमें,
पैखाने में रहे तो बिना धोये आयेंगे...

Sunday, 22 August 2010

पर सपने उनके आये तो रातों का क्या कुसूर

सस्ते शेर में एक शेर गुडनाइट वाला.......जिसे किसी अनाम ने लिखा है आज सस्ते शेर में चिपका रहा हूँ।



नज़रें उन्हें देखना चाहें

 तो उनका क्या कुसूर ?

हर वक़्त खुश्बू उनकी आये

 तो सांसों का क्या कुसूर ?

वैसे तो सपने पूछ कर  नहीं आते,

पर सपने उनके आये तो रातों का क्या कुसूर?

Tuesday, 6 April 2010

खुदा कसम.... बहुत ही सस्ता

मच्छरों ने हाय ये क्या कांड कर डाला,
अच्छे भले आदमी को भांड कर डाला....
दफ्तर की उलझने क्या पहले ही कुछ कम थीं,
गृहस्थी के बोझ ने तो हमें सांड कर डाला....
देखा जो हमने दोस्तों को तितलियों के साथ,
अपने भी दिल ने फौरन डिमांड कर डाला.......
किस्मत थी लेकिन फूटी, बीवी की पड़ी जूती,
बैठे बिठाए हमने लचांड कर डाला।

Wednesday, 13 January 2010

डाली..

डाली डाली डाली हमने छान डाली,
मगर ज़ालिम ज़माने ने काट डाली,
वो डाली, जिसपे हमने नज़र डाली!!