Wednesday, 12 November 2008

मुझसे पहले सी मुहब्बत मेरे महबूब न माँग...

(1)

सोई है तक़दीर ही जब पीकर के भाँग,
महँगाई की मार से टूटी हुई है टाँग,
तुझे फ़ोन अब न करूँगा P.C.O. से हाँगकाँग,
मुझसे पहले सी मुहब्बत मेरे महबूब न माँग...

(2)

दिल को आदत सी हो गई है चोट खाने की,
गम छुपाने की,भीगी पलकों से मुस्कराने की,
होता जो गुमाँ हमें इस खेल-ए-सेन्सेक्स का,
तो गलती न करते पैसे "निफ़्टी" में लगाने की...