Saturday 29 November 2008

यकीन है इक रोज़ जायेगी जान दिल्ली में...

यकीन है इक रोज़ जायेगी जान दिल्ली में,
तलाश करते हुए एक मकान दिल्ली में,
तमाम दिन के सर-ए-राह हम थके हारे,
शिकम में चूहे उछलते थे भूख के मारे,
बड़ा था मेरा शिकम,दोस्तों मैं क्या करता,
रकम थि जेब में कम,दोस्तों मैं क्या करता,
चला खरीद के तरबूज सू-ए-दश्त-ए-हक़ीर्,
लगी जो पाँव में ठोकर, सँवर गयी तक़दीर,
गम-ए-हयात की रातों में दिन निकल आया,
गिरा जो हाथ से तरबूज,जिन्न निकल आया,
अदब से बोला कि अदना ग़ुलाम हूँ आका,
जो हो सके ना किसी से करूँ वो काम मैं आका,
इशारा हो तो मैं रुख मोड़ दूँ ज़माने का,
बना दूँ तुमको मैनेजर यतीम-खाने का,
मेरे सबब से लतीफ़ा मुशायरा हो जाए,
पलक झपकते में शायर,शायरा हो जाये,
गुनाह-ओ-शिर्क कि रातों में आफ़ताब मिले,
इबादतें करें मुल्ला, तुम्हें सवाब मिले,
मैं आदमी नहीं,दुश्मन से साज़ बाज़ करूँ,
अगर मैं चाहूँ तो अहमक़ को सरफ़राज़ करूँ,
जो हुक़्म कीजे तो मुर्दे में जान डलवा दूँ,
मैं अह्द-ए-पीरि में, बीवी जवान दिलवा दूँ,
बजाएं सीटियाँ अब तल्खियाँ ज़माने की,
ये पकड़ो कुन्जियाँ क़ारूँ के खज़ाने की,
"नहीं है दिल की तमन्ना जहान दिलवा दे"
मैं हाथ जोड़ के बोला मकान दिलवा दे,
यह कह के घुस गया तरबूज में वो काला जिन्न,
अजीब वक़्त है बिगड़े हुए हैं सब के दिन,
ये सर्द-सर्द फ़िजाओं के गम यूँ ना सहते हम
मकान जो मिलता तो भला तरबूज में क्यूँ रहते हम?

6 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

रचना पढकर तो मजा गया, लेकिन यह तो बतायें कि है किसकी.

नदीम अख़्तर said...

वाह क्या लाजवाब लाइनें शाया की हैं आपने. बहुत अच्छा लगा। खासकर जिन के उस बात पर मज़ा आ गया कि उसे रहने को मकान होता, तो कहीं तरबूज में रहता।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मंदी में जमीन के भाव घट रहे है !
हापुड़ रोड पे सस्ते, प्लाट कट रहे है,!!
न स्वस्थ हवा खाने को,
न साफ़ पानी पीने को
चार कदम शहर से बाहर चले आवो !
क्या करोगे लेके मकान दिल्ली में !!
regards,
Godiyal

कडुवासच said...

मैं हाथ जोड़ के बोला मकान दिलवा दे,
यह कह के घुस गया तरबूज में वो काला जिन्न,
अजीब वक़्त है बिगड़े हुए हैं सब के दिन,
ये सर्द-सर्द फ़िजाओं के गम यूँ ना सहते हम
मकान जो मिलता तो भला तरबूज में क्यूँ रहते हम?
... सस्ता शेर अनमोल है, प्रसंशनीय।

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

bahut khoob!

Anonymous said...

are appne to bilkul mehfil jama di :)