बच्चों पर आ गई जवानी,
टी.वी. तेरी मेहरबानी,
खर-पतवार उगे गेहूँ में,
किसको सींचूँ सोचे पानी,
वो दिल्ली का हल्वा लाया,
खाने वाली हुई दिवानी,
राम सनेही भूखे बैठे,
रावण-प्रिय खाते गुडधानी,
चूहों ने संगठन कर लिया,
फेल हो गई चूहेदानी,
चूहा बनकर जिये आदमी,
घर में बीवी की कप्तानी,
बदल गये हैं तेवर अब तो,
साथ बीन के भैंस रँभानी...
2 comments:
होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।
बहुत खूब.
मस्त लिखा है
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