Sunday, 6 January 2008

जन्नत के ख्वाब

सारी जवानी काट दी दुनिया की ऐश में /
जन्नत के ख्वाब देखे है बुड़्ढा पड़ा पड़ा //

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

VIMAL VERMA said...

भाई वाह क्या कहने हैं !!!!

Ashok Pande said...

अद्भुत बूढ़ा शेर ... उतने ही जबर्जस्त सपने ! भई क्या कहने !!!