Thursday, 13 November 2008

दुनिया अपने को बहुत सता रेली है...

दुनिया अपने को बहुत सता रेली है,
बात बात पे अपनी हटा रेली है,
जूली माल तो अपना खाती है,
पर सुना है पप्पू को घुमा रेली है,

कितना भी पी लो साला चढती ही नही,
दारू भी डुप्लीकेट आ रेली है,
मटके का माल भर के बोतल में,
मक्डावेल का लेबल आंटी लगा रेली है,

पुलिस भी जब दिल करे उठा रेली है,
बिना किसी लोचे के फ़टके लगा रेली है,
सूनसान इलाके में कहीं ले जाकर,
अच्छे अच्छों को टपका रेली है,
 
आजकल भाई लोगों की इज़्ज़त भी जा रेली है,
पाकेटमार को भी मीडिया डाँन बुला रेली है,
अपुन भी सोच रेला है पोलिटिक्स जायन करने का,
काम वोइच पर इज़्ज़त से डबल इन्कम आ रेली है,
 
चलो भाई लोग अपुन अभी चलता है,
सलमा अपुन को बुला रेली है,
"सस्ता" मिले तो बोलना चमाट खायेगा मेरे हाथ से,
आजकल उसे ज़्यादा समझ में आ रेली है.....

10 comments:

महेंद्र मिश्र said...

बहुत बढिया दोस्त....मज़ा आ गया..

Arvind Aditya said...

वाह हल्का फुल्का लेकिन मजेदार.

एस. बी. सिंह said...

गुरु मटके का माल हो या मक्डावेल का, नशा तो पूरा लगेला है।

Jimmy said...

Good Post

Shyari is here plz visit karna ji

http://www.discobhangra.com/shayari/romantic-shayri/

Anonymous said...

Hi,
I was not aware till last evening that we have such a heart-warming blogsite in Hindi. It is such a pleasant surprise! My heartiest compliments to the author of Mumbaiya ishtyle poem.
But who does one type here in Devanagari?

कडुवासच said...

आजकल भाई लोगों की इज़्ज़त भी जा रेली है,
पाकेटमार को भी मीडिया डाँन बुला रेली है,
अपुन भी सोच रेला है पोलिटिक्स जायन करने का,
काम वोइच पर इज़्ज़त से डबल इन्कम आ रेली है,
..... छा गये , कमाल की अभिव्यक्ति है।

Doobe ji said...

wah wah kya kavita bana reli hai

Anonymous said...

सुभान अल्लाह!!!

Anonymous said...

are sahab maza aagyaa

Anonymous said...

bot badhia