जिसमें शामिल साले साली, सास के आने की बात,
उससे बढकर और क्या हो दिल के घबराने की बात,
सस्ते!हम फ़ाकामस्तों को नादीदः मत समझ,
भूख में होठों पे आ ही जाती है खाने की बात,
कूचा-ओ-जानाँ में जबसे सिर फ़ुटव्वल हो गई,
अहतियातन अब नहीं करते वहाँ जाने की बात,
बन गया अपना रक़ीब 'नन्हें' कसाई उफ़! नसीब,
पंगा लेना उससे है बेमौत मर जाने की बात,
उड़ गई चेहरे की रंगत साँस भी रुकने लगी,
छेड़ दी बेगम ने फिर शापिँग पे ले जाने की बात...
3 comments:
उड़ गई चेहरे की रंगत साँस भी रुकने लगी,
छेड़ दी बेगम ने फिर शापिँग पे ले जाने की बात...wah wah...
Vaah! Vaah!
बहुत खूब।
आप सिर्फ दाद ही नहीं दाद खाज खुजली सबके हकदार हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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