Sunday 3 May 2009

आम के आम

गर्मी हुई आँधी चली पेड़ों से गिरे आम ।
आइए जी चटनी खायें सुबह और शाम।
(कृपया इसको पूरा और ग़ज़ल का रूप देने में मदद करें । अच्छा इनाम भी पायें!)

4 comments:

मुनीश ( munish ) said...

sundar, swadisht evam hajmedaar ! By the way kisko bulaya aapne?

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

आम के आम और गुठलियों के दाम,
पर न जाने कब मिलें, हे राम, हे राम

Shailendra said...

अगर तुम्हारी प्यास बुझे न मत कर तू हाय राम
स्लाईएस फ्रूटी और माजा से चला ले अपना काम

श्रेयार्चन said...

dil me uthe jo dard ghabrane ki nahi baat
yaad rakhna zandu baam...peedahari baam