Monday 27 April 2009

उसे उर्दू जो आती तो मुझे कच्चा चबा जाता....

ग़रीबी ने किया कड़का, नहीं तो चाँद पर जाता,
तुम्हारी माँग भरने को सितारे तोड़कर लाता,

बहा डाले तुम्हारी याद में आँसू कई गैलन,
अगर तुम फ़ोन न करतीं यहाँ सैलाब आ जाता,

तुम्हारे नाम की चिट्ठी तुम्हारे बाप ने खोली, 
उसे उर्दू जो आती तो मुझे कच्चा चबा जाता,

तुम्हारी बेवफाई से बना हूँ टाप का शायर,
तुम्हारे इश्क में फँसता तो सीधे आगरा जाता,

ये गहरे शे’र तो दो वक़्त की रोटी नहीं देते, 
अगर न हास्य रस लिखता तो हरदम घास ही खाता, 

हमारे चुटकुले सुनकर वहाँ मज़दूर रोते थे,
कि जिसका पेट खाली हो कभी भी हँस नहीं पाता,

मुहब्बत के सफर में मैं हमेशा ही रहा वेटिंग,
किसी का साथ मिलता तो टिकट कन्फर्म हो जाता,

कि उसके प्यार का लफड़ा वहाँ पकड़ा गया वर्ना,
नहीं तो यार ये क्लिंटन हज़ारों मोनिका लाता....

- Hullad Moradabadi

9 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

wah

विनय (Viney) said...

हैं ऋतेश भी अजब, जुगाडू आदमी साहिब
मोती दूंढ़ कर देखो, कहाँ-कहाँ से ये लाता!

शेफाली पाण्डे said...

jabardast sher...

मुनीश ( munish ) said...

Where have u been all these days Ritesh . nice contribution!

नदीम अख़्तर said...

हुल्लड़ साहब ने किया है हंसने को मजबूर
मुंह लटकाए रहते हम, जो ये शेर न आता...
रांचीहल्ला

admin said...

हुल्लड साहब ने तो यहाँ पर गजब ही ढा दिया है। उनकी रचना से परिचय कराने के लिए आभार।

----------
S.B.A.
TSALIIM.

Anonymous said...

bahut sundar sher h...

rangnath

RAJ SINH said...

रितेश चक्कर ये चला रहा था कि शर्तिया अप्ना सस्ता माल का सात मे से एक शेर तड से जड बकी के भी छह की जुगाड मे लग जाऊं . पर हम्ने सोचा कि ’हुल्लद को पहले आप द्वारा सलामी देता चलून .बताता चलून कि येह शेर मेरे ही सायिट से साया कर्ने वाले "तडका " ब्लोग वाले छौन्क सिन्ह "तडका’ का है ...

इतनी थी नायाब बोतल ,कुछ नहीं परवाह की .
ज़हर था, अमरित था वो , या था निखालिश सन्तरा.

Smart Indian said...

Wah Wah!