Sunday 26 April 2009

मुंशी मुनक़्क़ा साहब का अगला कता

आज मुंशी मुनक़्क़ा साहब
पिछली ख़ता को माफ़ फ़रमाते हुए
अगला कता फ़रमाते हैं-
__________________
__________________
______________
____________
_____________
_______________
______________

मैं क्यों बनवाऊँ मोची से
ख़रीदूं क्यों मैं बाटा से
जुमा के दिन तो हर मसजिद में
हर कीमत का मिलता है.

5 comments:

श्यामल सुमन said...

मूल्यवान यह सोच है मिल सब करें विचार।
इसे मानकर चल सकें सुखी रहे संसार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

मुनीश ( munish ) said...

badhiya hai.kab uthaya tha?

प्रदीप कांत said...

वाह

मुझे टेम्पो पर लिखा एक शेर याद आ गया

नेकी कर जूता खा
मैंने खाया तू भी खा

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

मैं क्यों बनवाऊँ मोची से
ख़रीदूं क्यों मैं बाटा से
नेता पहले ही डरे बैठे हैं
इस जूते के टाटा से.

दीपक said...

दिल्ली मे मेरा जुता गुम हो गया था !! अब समझ गया ये तो अपने यार लोग के पास है !!:))