Friday 10 April 2009

बुरी संगत का शेर




मली से खट्टा नीम्बू , नीम से करेला कड़वा



और जो न पीवे न पीन दे ऐसा यार भड़वा

10 comments:

विनय (Viney) said...

हैफ़ आदत है ये मयकशी साहिब
न छुटे शादीशुदा या हो रंडवा

विनय (Viney) said...
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विनय (Viney) said...

सब का प्यारा है ये जौ का पानी
हो न्यूयार्क या अपना खंडवा

श्यामल सुमन said...

भूख लगे तो कौन सोचता।
चावल उसना है या अरबा।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

मुनीश ( munish ) said...

डीयर विनय & सुमन भाई आया करो यहाँ , बुरी संगत से बचे रहोगे !

ऋतेश त्रिपाठी said...

1-2 peg par haai haai karne waaloN ko kyaa kahenge??? :)

आलोक सिंह said...

जय भैरव

बियर से अच्छी विस्की , विस्की से अच्छी रम
नहीं मिले कुछ तो देशी अच्छी, जिससे मिटे गम

मुनीश ( munish ) said...

Ritesh & Alok aisi-taisi duniya kee . Ek din hum saath piyenge yaar.

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

मित्र बिरादरी के बारे में इतने nasty तो न हो जाओ:)

मुनीश ( munish ) said...

ap bi aa jao!