तुम्हारी माँग भरने को सितारे तोड़कर लाता,
बहा डाले तुम्हारी याद में आँसू कई गैलन,
अगर तुम फ़ोन न करतीं यहाँ सैलाब आ जाता,
तुम्हारे नाम की चिट्ठी तुम्हारे बाप ने खोली,
उसे उर्दू जो आती तो मुझे कच्चा चबा जाता,
तुम्हारी बेवफाई से बना हूँ टाप का शायर,
तुम्हारे इश्क में फँसता तो सीधे आगरा जाता,
ये गहरे शे’र तो दो वक़्त की रोटी नहीं देते,
अगर न हास्य रस लिखता तो हरदम घास ही खाता,
हमारे चुटकुले सुनकर वहाँ मज़दूर रोते थे,
कि जिसका पेट खाली हो कभी भी हँस नहीं पाता,
मुहब्बत के सफर में मैं हमेशा ही रहा वेटिंग,
किसी का साथ मिलता तो टिकट कन्फर्म हो जाता,
कि उसके प्यार का लफड़ा वहाँ पकड़ा गया वर्ना,
नहीं तो यार ये क्लिंटन हज़ारों मोनिका लाता....
- Hullad Moradabadi
9 comments:
wah
हैं ऋतेश भी अजब, जुगाडू आदमी साहिब
मोती दूंढ़ कर देखो, कहाँ-कहाँ से ये लाता!
jabardast sher...
Where have u been all these days Ritesh . nice contribution!
हुल्लड़ साहब ने किया है हंसने को मजबूर
मुंह लटकाए रहते हम, जो ये शेर न आता...
रांचीहल्ला
हुल्लड साहब ने तो यहाँ पर गजब ही ढा दिया है। उनकी रचना से परिचय कराने के लिए आभार।
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S.B.A.
TSALIIM.
bahut sundar sher h...
rangnath
रितेश चक्कर ये चला रहा था कि शर्तिया अप्ना सस्ता माल का सात मे से एक शेर तड से जड बकी के भी छह की जुगाड मे लग जाऊं . पर हम्ने सोचा कि ’हुल्लद को पहले आप द्वारा सलामी देता चलून .बताता चलून कि येह शेर मेरे ही सायिट से साया कर्ने वाले "तडका " ब्लोग वाले छौन्क सिन्ह "तडका’ का है ...
इतनी थी नायाब बोतल ,कुछ नहीं परवाह की .
ज़हर था, अमरित था वो , या था निखालिश सन्तरा.
Wah Wah!
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