कभी कूड़ा कभी करकट कभी वो कुछ समझता है
सिवा आशिक़ मेरा हमदम मुझे सबकुछ समझता है
मुझे इस तरह करता ट्रीट है हर तीसरे दिन वो
कि गोया "लालू" के सपोर्ट जैसा कुछ समझता है
Tuesday, 2 June 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
9 comments:
wah wah...wah wah
kya baat hai..wah..wah
wah ....wah...wah...
mast hai guru...
Par ye 6 mahine mein 1 post kaa hisaab theek nahin hai...aksar aayaa karein.. :)
marhabaaaaaaaaaa.. vaah..vaah!khoooooooooooooob!
लालू के सप्पोर्ट का कोई क्या करे
जब लालू की अपनी ही बत्ती गुल है
फिल्म रिलीज़ का हाउस भी फुल है.
अब लालू भये लल्ले लल्ले
कांगेस की है बल्ले बल्ले
शेर सस्ता हो पर लालू को बहुत मँहगा पडा
लालू के सप्पोर्ट की खूब गढी कहानी मियाँ
कुछ तो कदम अब आगे बढाओ
तुम भी करात जैसे बन जाओ
नहीं मिली इज्जत तो
अपने गुण आप गाओ
Post a Comment