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मोहब्बत जुर्म नहीं अगर की जाए उसूल से
ख़ुदा को भी तो मोहब्बत थी अपने रसूल से
लेकिन अबकी बार ईद पर हमारे सितारे हमारी हड्डियां तुड़वा गए
हम चाँद के नजारे में खोए थे और चाँद के अब्बू वहीं पर आ गए.
(कहीं से उड़ाया है, जाओ नहीं बताते)
5 comments:
मोहब्बत जुर्म नहीं अगर की जाए उसूल से
और भी अच्छा है गर शुरू की जाए स्कूल से.
marhaba! oonchee baat!
wah! waah! waaah!
अजी किस्मत वाले हैं हुज़ूर आप,
जो जुर्म से पहले ही सजा मुकुरर्र हो गयी,
महबूब से पहले अब्बू की मेहर हो गयी!!! :-)
ha ha ha झक्कास
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