Monday, 28 January 2008

एक मासूम सी ग़लतफ़हमी

हमें हर वक्‍़त लगता था हमें वे देखती हेंगी

अगर यूं देखती हैं तो यक़ीनन दिल भी वो देंगी

मगर कमबख्‍़त कि़स्‍मत को कहां पर रोइये जाकर

ग़लतफ़हमी हमारी थी उधर तो आंख थी भेंगी