Sunday, 27 January 2008

शेयरों के भाव

सोचा था तेरे देश में मंहगे हैं शेर दोस्त
पर शे(य)रों का भाव यहाँ और भी ख़राब!

(दुष्यंत कुमार से क्षमायाचना सहित).

3 comments:

मुनीश ( munish ) said...

vaah kya khoob! aane dijiye.

मुनीश ( munish ) said...

vijay bhai dekha jo blog aapka to tabeeyat bahal gayi, Azaad Lab me tevar bhi hai aur shokhi bhi hai nayi. apne profile me kitabon pe jo sher diya hai apne usska script ya audio yahan chipkane ki koshish karen. inayat hogi.

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

मुनीश भाई, तबीयत आपकी शायराना है. क्या कहने! वैसे हौसलाअफ़जाई का शुक्रिया! वह शेर खूंखार शायर निदा फाज़ली का है. मैंने उनके हाथ की बनी बिरयानी उनके ही खार डांडा वाले घर हर ऋतु में न जाने कितनी बार खाई है, शायद यह उसीका असर होगा. वैसे राज़ की बात ये है कि निदा साब को पता नहीं है कि उनका यह शेर मैंने इस्तेमाल कर लिया है. पता चल गया तो पता नहीं कितनी गालियाँ खानी पड़ेंगी, वह भी उनके ठेठ गवालियरी अंदाज़ में.

दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि मुझे ऑडियो फाइल लगानी नहीं आती. स्क्रिप्ट से आपकी मुराद क्या है, मैं समझा नहीं. कुछ गोपनीय बात करनी हो इस ई-मेल को अपना ही पता समझें- chaturvedi_3@hotmail.com

और हाँ, इरफान भाई से कहकर मुझे घूमते हुए ब्लोगरोल का html उधार देने की कृपा करें. मैंने बड़ी कोशिश की लेकिन कामयाब न हो सका, इसलिए जितना मिला है वही 'आजाद लब' पर लगाकर घुमा रहा हूँ.