Wednesday, 30 January 2008

खाने को न दे तो फर्क भी क्‍या पड़ता है

अशोक जी ने लिखा है कि नशा दाने दाने को मोहताज कर देता है ये उन्‍होंने एक ट्रक पर से पढ़ा है । अब ये तो उन्‍होंने नहीं बताया कि वे ट्रक के पीछे क्‍या कर रहेथे । खैर मैं जवाब दे रहा हूं और हां एक बात पहले ही बात देता हूं कि भले ही सस्‍ता शेर पर वैधानिक चेतावनी लगी है कि शेर जरूरी नहीं हैं कि लिखने वाले के ही हों पर मैं तो अपने और केवल अपने ही ताज़ा लिखें पेश कर रहा हूं सो चुराने की कोशिश करने पर कापीराइट लग जाएगा ( वैसे हिन्‍दुस्‍तान में कापीराइट चलता ही कितना है )

न दे गर कोई खाने को नहीं दाना भी दे कोई

मगर पीने को तो देगा भला मानुस अगर होगा