Monday, 14 January 2008

Monk once more......

मानो ना मानो तुम कुछ भी कहो बिरादर / ब्रांड भतेरे हैं दारू के पर ओल्ड मंक है सबका फादर !!

4 comments:

VIMAL VERMA said...

मुनीशजी, ये शेर शायद आपके लिये ही बहुत पहले लिखा गया था.... गौर फ़रमाएं.

जब मैखाने मे शबाब आया
तो पत्तल में शराब
और बोतल में कबाब आया
सही है ?

मुनीश ( munish ) said...

100% solah aane !!

Unknown said...

grand father
तो मीर गए दिनों, पुराने उस्ताद से दगा क्यों?
ओल्ड मोंक छोड़ शिवास रीगल से लगा क्यों?
(मुरीदों की बिरादरी से) - manish

मुनीश ( munish ) said...

na kaho usko monk se mera daga,
darasal Regal ka peg tha pyar me paga!