Saturday 4 October 2008

फ़ुटकर शे'र...

(1)
हर गली हर दीवार पर तेरा नाम है,
हर गली हर दीवार पर तेरा नाम है,
ऊपर लिखा है "चप्पल चोर"
और नीचे 5 रुपये का ईनाम है!

(2)
अगर ताँगे में आना था तो पीछे बैठ जाना था,
तेरे पहलू में बैठा कोचवाँ अच्छा नहीं लगता...

(3)
इश्क़बाजी में जान देने लगा,
और आहटों पे कान देने लगा,
जब से देखी पडोसी की मुर्गी,
मेरा मुर्गा अजान देने लगा..

(4)
महफ़िल में इस खयाल से आ गया हूँ मैं,
शायद मुझे निकाल कर कुछ खा रहे हों आप..

(5)
गुनगुनाता नाचता गाता हुआ दरकार है,
दिल को बहलाने की खातिर झुनझुना दरकार है,
इक सहेली दूसरी से हँस के बोली एक दिन,
जिस को शौहर कह सकूँ वो मसखरा दरकार है...

(6)
भैंस की दुम बेसबब नहीं गालिब,
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है !

6 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bhai wah, lekin ghalib chacha ka sher to nahin hai yeh

प्रशांत मलिक said...

mai nbhi comman man ji se sahmat hun..
baki achche hain.

Vineeta Yashsavi said...

waah..waah waaaaa

mehek said...

wah bahut khub:)

वर्षा said...

सस्ता शेर भी बेसबब नहीं ग़ालिब

bijnior district said...

अगर ताँगे में आना था तो पीछे बैठ जाना था,
तेरे पहलू में बैठा कोचवाँ अच्छा नहीं लगता...
बहुत अच्छा हैं।
महफ़िल में इस खयाल से आ गया हूँ मैं,
शायद मुझे निकाल कर कुछ खा रहे हों आप..
महफिल में खाने को बहुत कुछ होता है,गाली, जूता,चप्पल ,डंडा।
देखकर हिंस्सेदारी करना