Monday 20 October 2008

हिंग्रेज़ी कविता...

क्या बिंदास हवा चल रही है,
बर्ड गाना गा रहे हैं,
काऊ लोग ग्रास ईट रहे हैं,
स्याणे लोग "सस्ता-शेर" पर लिख रहे हैं,
और
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
ढक्कन लोग उसे पढ रहे हैं!! Talking 

1 comment:

अनुपम अग्रवाल said...

ढक्कन को ढक्कन कहेंगे तो क्या खाक दाद मिलेगी