Friday 10 October 2008

मुखतलिफ़ अश'आर..

(1)
इश्क़ में हमने क्या क्या पाया है?
हाथ पैर टूटे,मुँह से लहू आया है
अस्पताल पहुँचने पर नर्सों ने ये फ़रमाया है,
बहारों फूल बरसाओ,आशिक़ पिट के आया है..

(2)
(इरफ़ान जी से  माफ़ी की गुज़ारिश के साथ)

भाई इरफ़ान की शादी में हमने पी ली शराब,
भाई इरफ़ान की शादी में हमने पी ली शराब,
फिर जो हुई तबीयत खराब,
दे पेशाब पे पेशाब,दे पेशाब पे पेशाब..

(3)
इस खौफ़ से बाहर निकलना छोड़ दिया गालिब
कि कहीं कोई लड़की फिर खुदकशी न कर बैठे !

(4)
ये कह कर मकान-मालिक ने घर से निकाल दिया फ़राज़,
तू शाहीन है बसेरा कर पहाड़ों की चट्टानों में...

3 comments:

अनूप भार्गव said...

भाई इरफ़ान की शादी में हमने पी ली शराब,
भाई इरफ़ान की शादी में हमने पी ली शराब,
फिर जो हुई तबीयत खराब,
दे पेशाब पे पेशाब,दे पेशाब पे पेशाब..

>>> और इरफ़ान भाई भी नशे में कहे जा रहे थे .

आदाब आदाब आदाब आदाब

Anonymous said...

बेकार।

एस. बी. सिंह said...

भाई कहीं सुना था--
मैंने तुझे तो नहीं इन्सल्ट किया
मगर तेरे चचा ने फ़िर भी मुझे पीट दिया।
चचा ने जो किया किया मगर
क्यों तेरी मम्मी ने फ़िर उसे रिपीट किया।