Thursday, 31 January 2008

हां पेट में दाना नहीं

हां पेट में दाना नहीं, बोतल में तो रम है
कहने दे मुझे सारा फ़साना यहां आ के

2 comments:

अमिताभ मीत said...

बोतल ही का रम है कि जो हर गाम साथ दे
और किस जिगर पे सहते हैं हम ज़ुल्म जहाँ के ?

मुनीश ( munish ) said...

भाई वाह मीत भाई आप भी दाढी वाले निकले ! एक ज़माने में हमने भी खूब दाढी रखी फ़िर दिल्ली की हवा में तैरते प्रदूषण के कारण छोड़ दी ! अशोक भाई की खातिर ही सही यहाँ आया करें इस्सी तरेह.