Friday, 6 June 2008

या ले के जाओगे ...


सागर खैयामी साहब का एक नायाब कता ....
गौर फ़रमाइये ...



बोला दुकानदार कि क्या चाहिये तुम्हे
जो भी कहोगे मेरी दुकाँ पर वो पाओगे
मैनें कहा कि कुत्ते के खाने का केक है
बोला यहीं पे खाओगे या ले के जाओगे

4 comments:

कुश said...

भौ भौ.. क्या खूब कहा है

Ashok Pande said...

बहुत सुन्दर कुत्ता शेर. मौज आ गई साब!

दीपक said...

sahee hai janaab

Tarun said...

Anup ji, To phir aapne kya kiya ? :D