Thursday 12 June 2008

ग़ालिब का एक अवधी अनुवाद

नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का,
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का .

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इसे अवधी में पढिये-

वस्तर पहिरे कागद केरा, चित्र एक-एक चिल्लाय,
कवने ठगवा अपनी कलम से हमको अइसन दियो बनाय

1 comment:

Anonymous said...

दोनों मैं से एक मैं भी समझ नहीं आया, कृपया इसका मतलब हिन्दी में बताएँ