नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का,
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का .
--------------------------------
इसे अवधी में पढिये-
वस्तर पहिरे कागद केरा, चित्र एक-एक चिल्लाय,
कवने ठगवा अपनी कलम से हमको अइसन दियो बनाय
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
दोनों मैं से एक मैं भी समझ नहीं आया, कृपया इसका मतलब हिन्दी में बताएँ
Post a Comment