Tuesday 5 August 2008

ये शेर आज ही संस्‍कृति के चार अध्‍याय में पढ़ा अच्‍छा लगा सो आप भी सुनें

संस्‍कृति के चार अध्‍याय में वैसे तो काफी कविता है पर कुछ अच्‍छे शेर भी वहां पर हैं जो आनंद देते हैं गद्य के बीच में जब पद्य आता है तो उसका मजा ही अलग होता है और उस पर हम तो ठहरे कविता वाले लोग हम तो हर जगह कविता को ही ढूंढते हैं

तेरी बेइल्‍मी ने रख ली बेइल्‍मों की शान

आलिम-फाजिल बेच रहे हैं अपना दीन-ईमान

No comments: