संस्कृति के चार अध्याय में वैसे तो काफी कविता है पर कुछ अच्छे शेर भी वहां पर हैं जो आनंद देते हैं गद्य के बीच में जब पद्य आता है तो उसका मजा ही अलग होता है और उस पर हम तो ठहरे कविता वाले लोग हम तो हर जगह कविता को ही ढूंढते हैं
तेरी बेइल्मी ने रख ली बेइल्मों की शान
आलिम-फाजिल बेच रहे हैं अपना दीन-ईमान
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