Monday, 17 December 2007
इंटर गफिल्ला द किल किल द पौं पौं
हरसिंह उर्फ़ हरदा की छोटी सी दुकान है नैनीताल की सब्जी-अंडा-मीट मार्केट में। वो कई सालों से हमें कई सारे शेर सुनाते रहे हैं लेकिन एक अदभुत शेर है जिसका मतलब और जुबां आज तक समझ में नहीं आये। आप भी ट्राई कीजिए ककड़ी की तरी का यह स्वाद:
इंटर गफिल्ला द किल किल द पौं पौं
नार द कमसिन, फिल्टर झां पौं
झंको रे नत्ता, नत्ता झंको
नत्ता झंको, झंको नत्ता
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2 comments:
ताक झाँक से मना करते होंगे.
हा हा हा एक लाइन हमने भी बचपन में सुनी थी आज तक समझ नहीं पाये,
ट्रन मलिशा गंदे लाते बाथू आली सा !!!
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