Sunday 30 December 2007

mujhe daad na dene valo ke naam...

YE GUL O' NAGMA SHAAYRI, MERE GEET MAST AUR GHAZAL,
BADE LOGON KI BAATEIN HAIN, NAHI BACHCHON KE YE SHAGAL

3 comments:

Ashok Pande said...

इस ज़ालिम ज़माने ने मीर जैसे बाबाजी के साथ दाद न देने की पालिटिक्स खेली थी मुनीश भाई. आपकी हमारी क्या बिसात! मीर ने जवाब मगर कर्रा कर के दिया था:

कद्र जैसी मिरे शेरों की अमीरों में हुई
वैसी ही उन की भी होगी मेरे दीवान के बीच

जय बोर्ची

VIMAL VERMA said...

गज़ब शेर मारते हैं भाई, मज़ा आ गया,आपका खजाना बहुत बड़ा है, मारते रहिये शेर पर शेर,हम नहीं होने वाले ढेर !!

मुनीश ( munish ) said...

jay ho... dhan bhaag hamare!!