शेर गौर फरमाए.............. की
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------------------बहार आने से पहले खिजा आ गई,
बहार आने से पहले खिजा आ गई, दो फूल खिलने से पहले बकरी खा गई । ।
--शैलेन्द्र
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------------------बहार आने से पहले खिजा आ गई,
बहार आने से पहले खिजा आ गई, दो फूल खिलने से पहले बकरी खा गई । ।
--शैलेन्द्र
5 comments:
...यहाँ भी गौर फरमाइए जनाब...."लूटते अगर खिजा में तो कुछ बात ही न थी,हमको तो रंज है की लूटें हैं बहार में...."
:):) bahut khub,bakri ke to maze ho gaye:):)
:):) bahut khub,bakri ke to maze ho gaye:):)
vah vah fool khilane se pahale bakari khaa gai...
उत्तम सायरी.
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