Saturday, 12 July 2008

शेर नम्बर ५००

सस्ते शेर की बुलंदियों को सलाम

पेश -ऐ- खिदमत है एक शेर यह शेर नम्बर/ पोस्ट नम्बर ५०० है पोस्ट के मुताबिक
--------------------
--------------------

ख़ुद को कर बुलंद इतना,
की हिमालय की चोटी पे जा पहुचे !
और खुदा तुमसे ये पूछे,
अबे गधे अब नीचे उतरेगा कैसे !!
--शैलेन्द्र 

2 comments:

राज भाटिय़ा said...

ख़ुद को कर बुलंद इतना,
की हिमालय की चोटी पे जा पहुचे !
और खुदा तुमसे ये पूछे,
अबे गधे तेरी राजाई कहा हे!!

दीपक said...

वहा चढ कर और क्या उतरना है मिया !! बात खतम हुयी समझो