सस्ते शेर की बुलंदियों को सलाम
पेश -ऐ- खिदमत है एक शेर यह शेर नम्बर/ पोस्ट नम्बर ५०० है पोस्ट के मुताबिक
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ख़ुद को कर बुलंद इतना,
की हिमालय की चोटी पे जा पहुचे !
और खुदा तुमसे ये पूछे,
अबे गधे अब नीचे उतरेगा कैसे !!
--शैलेन्द्र
पेश -ऐ- खिदमत है एक शेर यह शेर नम्बर/ पोस्ट नम्बर ५०० है पोस्ट के मुताबिक
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ख़ुद को कर बुलंद इतना,
की हिमालय की चोटी पे जा पहुचे !
और खुदा तुमसे ये पूछे,
अबे गधे अब नीचे उतरेगा कैसे !!
--शैलेन्द्र
2 comments:
ख़ुद को कर बुलंद इतना,
की हिमालय की चोटी पे जा पहुचे !
और खुदा तुमसे ये पूछे,
अबे गधे तेरी राजाई कहा हे!!
वहा चढ कर और क्या उतरना है मिया !! बात खतम हुयी समझो
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