अरबी महफ़ील मे मेरे हिन्दी दोस्त को गाना गाने कि तलब चढी मैने उसे यह अपराध करने से सज्जनता पुर्वक रोका कहा दोस्त आप गायेंगे तो लोग बेहोश हो सकते है ,पागल या उन्मादी हो सकते है ,भुकंप आने का भी खतरा है ,पर वह नही माना तो उसे तुरंत गढ कर एक ऐसा सस्ता शेर सुनाया कि उसने अपनी साबुत हड्डीयो के सदके अपनी यह जिद्द छोड दी इस प्रकार सस्ते शेर ने एक भयंकर दुर्घटना से बचाया ॥
तो पेशे खिदमत है वह गीता सार जो हमने अपने दोस्त से कही !!
हम तो दोस्त है
तुम्हारा गाना बजाना भी झेल जायेंगे
पर गर उन्होने तुम्हे बजा दिया
तो हम सिर्फ़ ताली बजाते रह जायेंगे
Tuesday, 22 July 2008
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3 comments:
......भई वाह....!.... मजा आ गया... अगले पोस्ट के इंतजार में...
bahut shaandar,din ko in sheron ki bhi zarurat hoti hai- mazedaar
ऐसी दोस्ती डेंजरस है! हहहहाहा!
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