Monday, 7 July 2008

रद्दी शेर

एस एम एस से पाया करकट-

सफ़र लम्बा है बहुत, दोस्त बनाते चलो
दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते चलो
कंगलों से नहीं शाहों से बनता है ताजमहल
हो सके तो हर जगह मुमताज बनाते चलो

2 comments:

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

पांडे महाराज, सीख काम की है. सुबह उठते ही अमल करना शुरू कर देते हैं..):

Anonymous said...

हा हा हा....... हें हें हें ............ बहुत ही मजेदार और काफ़ी बढिया.......... पर महा रद्दी और महा बकवास शेर. दाद ......पर-दाद .......... दाद खाज खुजली............