शेर है मेरा सबसे सस्ता
है लेकिन ये एकदम खस्ता
इसकी ही है चर्चा हरसू
गली-गली औ' रस्ता-रस्ता
टूटा हैं यह कसता-कसता
उजड़ गया है बसता-बसता
उसकी किस्मत-मेरा क्या है
निकला है वो फँसता-फँसता
दुनिया क्यों है रोती रहती
जग है फ़ानी-जोगी हंसता
Tuesday, 12 August 2008
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3 comments:
achchi rachna
विनय जी
ग़ज़ल एक दम नए रंग में शानदार और खरीदने लायक है...कितने की है?
नीरज
ग़ज़ल मेरी अनमोल
पर रहां हूँ तोल
कीमत!
आपके मीठे बोल
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