Wednesday, 10 September 2008

चाँद औरों पर मरेगा क्या करेगी चाँदनी?

आज से क़रीबन 5-6 साल पहले हुल्लड़ मुरादाबादी साहब को सुनने का मौका मिला था.उनके सुनाए कुछ शेर नोट कर के ले आया था. देखें-
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चाँद औरों पर मरेगा क्या करेगी चाँदनी,
प्यार में पंगा करेगा क्या करेगी चाँदनी,

चाँद से हैं खूबसूरत भूख में दो रोटियाँ,
कोई बच्चा जब मरेगा क्या करेगी चाँदनी,

डिग्रियाँ हैं बैग में पर जेब में पैसे नहीं,
नौजवाँ फ़ाँके करेगा क्या करेगी चाँदनी,

जो बचा था खून वो तो सब सियासत पी गई,
खुदकुशी खटमल करेगा क्या करेगी चाँदनी,

दे रहे चालीस चैनल नंगई आकाश में,
चाँद इसमें क्या करेगा क्या करेगी चाँदनी,

साँड है पंचायती ये मत कहो नेता इसे,
देश को पूरा चरेगा क्या करेगी चाँदनी,

एक बुलबुल कर रही है आशिक़ी सय्याद से,
शर्म से माली मरेगा क्या करेगी चाँदनी,

लाख तुम फ़सलें उगा लो एकता की देश में,
इसको जब नेता चरेगा क्या करेगी चाँदनी,

ईश्वर ने सब दिया पर आज का ये आदमी,
शुक्रिया तक ना करेगा क्या करेगी चाँदनी,

गौर से देखा तो पाया प्रेमिका के मूँछ थी,
अब ये "हुल्लड़" क्या करेगा, क्या करेगी चाँदनी....

4 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत अच्छे शेर सुनाये। धन्यवाद।

MANVINDER BHIMBER said...

शब्दों मैं वजन है....भाव भी सुंदर है ......बहुत अच्छे

फ़िरदौस ख़ान said...

लाख तुम फ़सलें उगा लो एकता की देश में,
इसको जब नेता चरेगा क्या करेगी चाँदनी,

बहुत ख़ूब...

दीपक said...

ईशाद त्रिवेदी जी "हुल्लड जी की ये रचना काबिले तारिफ़ है।