(1)
तू पहले ही है पिटा हुआ, ऊपर से दिल नाशाद न कर,
हो गई ज़मानत तो जाने दे, वो जेल के दिन अब याद ना कर,
तू उठ के रात को 12 बजे ,विह्स्की रम की फ़रियाद ना कर,
तेरी लुटिया डूब चुकी है , ऐ इश्क़ मुझे बर्बाद न कर....
(२)
खा के क़स्में प्यार की आए यहाँ,
गर्दिशों में पेंच ढीले हो गये,
ढूँढते हम फिर रहे हैं नौकरी,
और उनके हाथ पीले हो गये !!!
(३)
नंबर वाला पहन लिया चश्मा,
अब बड़ों में शुमार हमारा है,
आँखों में जो बसी थी कभी,
उसने भी अंकल कह के पुकारा है!
(४)
लड़की कहाँ से लाऊँ मै शादी के वास्ते,
शायद के इसमें मेरे मुक़द्दर् क दोष है,
अज़रा,नसीम,सना ओ सबा भी गईं,
एक शमा रह गई है सो वो भी खामोश है !
(५)
6 महीने ही में ये हाल हुआ शादी के,
साल तो दूर है फिर कभी ख्वाबों में मिलें,
इस तरह रक्खा है बेगम ने मुझे घर में,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें..
4 comments:
अंकल बुरा हाल हे, इतने जुते खा कर भी लेला नही मिली, ओर जब मिली तो 6 महीने मे ही बेगम ने आप को सूखा कर रख दिया बाप रे ...
कितनी गहरी आपबिती है अब हमे हंसी आ रही है इसिलिये हम बेशरमो मे शुमार है !!
शादी उनसे नही तो उनकी खाला से हो ।
सारे जमाने के लिये ये शादी फ़िर मसाला हो
महफ़िल की इनायत ये ज़रीफ़े सुखनआरा
वो दाद मिली है कि खुजाया नहीं जाता
माफ़ कीजिएगा जल्दी में एक लफ़्ज़ ग़लत टाइप हो गया (उसे कैंसिल मान इसे पढ़िए)
महफ़िल की इनायत से ज़रीफ़ सुखनआरा
वो दाद मिली है कि खुजाया नहीं जाता
Post a Comment